Tuesday, October 26, 2010
Jollywell: A trail of warm thoughts
Jollywell: A trail of warm thoughts: "It all started in a train, and before I knew, it finished when I alighted at the station. I was returning to Bhopal from Kerala after attend..."
Jollywell: A year that will be new
Jollywell: A year that will be new: "A year that will be new A year came by and went With 365 days/nights of news Some pleasant, some painful Painting our lives in various hues..."
Friday, October 1, 2010
हमारी सुबह कचड़े में बीते
हमारी सुबह कचड़े में बीते
तुम्हारी कक्षा और किताबों में
हमारे नंगे पैर सड़कें नापे
तुम्हारे नंगे हाथ भूगोल जाने
हम भी भारत के अंग हैं
फिर क्यों नहीं कोई हमारे संग है
हमारा जीवन नर्क है पर
होसला आसमान को छूने का है
कपड़े गंदे और तंग हैं पर
मंजिल हमारी साफ़ है
हम भी भारत के अंग हैं
फिर क्यों नहीं कोई हमारे संग है
मेहनत हमारी रंग लाएगी
यह हमारा विश्वास है
विज्ञान हमसे दूर ही सही
लेकिन ज्ञान हमारे पास है
हम भी भारत के अंग हैं
फिर क्यों नहीं कोई हमारे संग है
इतिहास के नकारे लेकिन
चुनौती यह हमने भी ली है
पदक हमें मिले न सही,
जीयेंगे हम भी शान से
हम भी भारत के अंग हैं
फिर क्यों नहीं कोई हमारे संग हैं
आखों में सपने लिए,
देश को हम भी बदलेंगे
दुनिया हमारे साथ न सही,
साथ हमारे सूरज, चाँद चलेंगे
हम भी भारत के अंग हैं
फिर क्यों नहीं कोई हमारे संग है
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